“मुक्त काव्य”
“मुक्त काव्य” चाह की राह है गोकुल निर्वाह है यमुना कछारी रात अंधियारी जेल पहरेदारी देवकी विचारी कृष्ण बलिहारी लीला
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Read More“झिनकू भैया के प्रपंची आँसू” एक आँख से विनाशक बाढ़ व दूसरी आँख से फसलों को सुखाने वाला हृदय विदारक
Read Moreछंद शक्ति , (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी, 122 122 122 12, लगाला लगाला लगाला लगा “शक्ति छंद” पुरानी दवा है
Read More“मुक्त काव्य” सजाती रही सँवारती रही गुजारती रही जिंदगी बाढ़ के सफ़र में बिहान बहे पल-पल।। गाती गुनगुनाती रही सपने
Read Moreछंद- वाचिक सोमराजी (मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी- लगागा लगागा, 122 122 “सोमराजी छंद” मुक्तक या राम माया। मृगा हेम भाया। छलावा
Read Moreजी करता है जाकर जी लू बोल सखी क्या यह विष पी लू होठ गुलाबी अपना सी लू ताल तलैया
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