“मिलन मुक्तक”
5-8-18 मित्र दिवस के अनुपम अवसर पर आप सभी मित्रों को इस मुक्तक के माध्यम से स्नेहल मिलन व दिली
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Read Moreपकड़ो साथी हाथ यह, हाथ-हाथ का साथ। उम्मीदों की है प्रभा, निकले सूरज नाथ।। निकले सूरज नाथ, कट गई घोर
Read Moreइनका यह संसार सुख, भीग रहा फल-फूल। क्या खरीद सकता कभी, पैसा इनकी धूल॥ पैसा इनसे धूल, फूल खिल रिमझिम
Read Moreजिनगी में आइके दुलार कइले बाट गज़ब राग गाइके सुमार कइले बाट नीक लागे हमरा के अजबे ई छाँव बा
Read Moreपहली-पहली रात, निकट बैठे जब साजन। घूँघट था अंजान, नैन का कोरा आँजन। वाणी बहकी जाय, होठ बेचैन हो गए-
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