“पिरामिड”
ये ड्रामा देख लो रोती आँख हँसता दिल खेल रहे मिल सजी है महफ़िल॥-1 क्या हुआ पुराना अभिनय प्रेम विनय
Read Moreअत्र कुशलम, तत्रास्तु……. जमाना बीत गया, तुम्हें विदित ही है पढ़ना- लिखना तुम्हारी जुल्फों में ही बिखर गया व मंजिल
Read Moreछंद- दुर्मिल सवैया (वर्णिक ) शिल्प – आठ सगण, सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा , 112 112
Read Moreसादर नमन साहित्य के महान सपूत गोपाल दास ‘नीरज’ जी को। ॐ शांति। सुना था कल की नीरज नहीं रहे।
Read Moreचैन की बांसुरी बजा रहे बाबा, सु-धर्म की धूनी जगा रहे बाबा आसन जमीनी जगह शांतिदायी नदी पट किनारे नहा
Read Moreविधान – 25 मात्रा, 13,12 पर यति, यति से पूर्व वाचिक 12/लगा, अंत में वाचिक 22/गागा, क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त,
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