गगनांगना छंद [सम मात्रिक]
विधान – 25 मात्रा, 16,9 पर यति, चरणान्त में 212 या गालगा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत
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Read More“कुंडलिया” मन में आग धधक रही, जल जाता वन बाग गर्मी से राहत कहाँ, तरह तरह चित राग तरह तरह
Read Moreधूम-धाम से झिनकू भैया के सुपुत्र की शादी हुई और पढ़ी लिखी आधुनिक परिवेष में रची पगी बहू का लक्ष्मी
Read Moreआप भी महान हुए, कुल के सुजान हुए नारी बीच सखी सारी, मान तो बढ़ाइए।। मान लीजे शान गिरी, नाचते
Read Moreमोती जैसे अक्षर हैं, सुंदर शब्द सुजान भाव मनोहर लिख रही, कोरे पन्ने मान कोरे पन्ने मान, बिहान न
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