” चौपाई, श्रृंगार रस”
मुरली हाथ गले मह माला, पितांबर सोहे गोपाला मोर पंख मुकुट नंदलाला, चैन चुरा जाए बृजबाला।।-1 मातु यशोमति भवन अटारी,
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Read Moreविधान-, मात्रायें -13, 19, यति से पहले व बाद में 21या12 चरणान्त 22, चरणान्त शब्द – छाया मानव कर्म महान
Read Moreकुछ मिला भी नही ढूढता रह गया वक्त आ कर गया देखता रह गया थी निशा भी खिली दिल सजाकर
Read Moreडूबते उतिराते धान की फसल खेत से खलिहान को तिरछे ताकते हुए, मुँह छुपाते हुए किसान के घर में ऐसे
Read Moreविधान~[ जगण नगण भगण सगण नगण जगण गुरु]( 121 111 211 112 111 121 2)19वर्ण,4 चरण,यति5,5,5,4 वर्णों पर , दो
Read Moreन्याय और अन्याय का, किसको रहा विचार। साधू बाबा भग गए, शिक्षा गई बेकार। नौ मन का कलंक लिए, नाच
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