कविता

“वरुथिनी छंद”

विधान~[ जगण नगण भगण सगण नगण जगण गुरु]( 121 111 211 112 111 121 2)19वर्ण,4 चरण,यति5,5,5,4 वर्णों पर , दो दो चरण समतुकांत

महान तुम, महान हम, महानतम, जुबान हो

दुलार पन, जवान पन, हितायतन, बखान हो

किसी डगर, किसी शहर, सुआस मन, बनी रहे

पुकार सुन, दहाड़ गुन, प्रभाव तन, जगी रहे।।

महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ