“कुंडलिया”
कुदरत ने सब कुछ दिया, आम पाम अरु जाम हम मानव ने रख दिया, अमृत फल का दाम अमृत फल
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Read Moreहे नयना नागर, सब गुन आगर गिरिवर धारक, खल हंता।। हे नियति नियंता, अति बलवंता छमहु महंता, सुख कंता।। प्रभु
Read Moreवरगद अब बूढ़ा हुआ, हो गइ बूढ़ी छांव गलियाँ सूनी हो गई, बिन चौपाली गाँव बिन चौपाली गाँव, घोसले शहर
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