“दोहा मुक्तक”
माँ माँ कहते सीखता, बच्चा ज्ञान अपार माँ की अंगुली पावनी, बचपन का आधार आँचल माँ का सर्वदा, छाया जस
Read Moreमाँ माँ कहते सीखता, बच्चा ज्ञान अपार माँ की अंगुली पावनी, बचपन का आधार आँचल माँ का सर्वदा, छाया जस
Read Moreसुंदरी की सुंदरता, अर्पण करती फूल नयन रम्यता झील की, मोहक पल अनुकूल मोहक पल अनुकूल, खींचता है आकर्षण
Read Moreफिर वहीँ स्टेशन, वही रेल, वही पतली पट्टी वाली लोहे की डगर। चढ़ते उतरते धक्का मुक्की करती पसीने की कमाई
Read More“खुश्बुदार पैंट” सूट बूट टाई वाई लगाकर हैट कैट दिखाते हुए निकले जनाब अपना फैट सुबह सुबह किचकिच है पीच
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