मुक्तक/दोहा

“दोहा मुक्तक”

माँ माँ कहते सीखता, बच्चा ज्ञान अपार
माँ की अंगुली पावनी, बचपन का आधार
आँचल माँ का सर्वदा, छाया जस आकाश
माँ की ममता सादगी, पोषक उच्च बिचार॥-1

माँ बिन सूना सा लगे, हर रिश्तों का प्यार
थपकी में उल्लासिता, गुस्सा करे दुलार
करुणा की देवी जयी, चाहत सुत कल्याण
क्षमा शील संवेदना, माता का शृंगार॥-2

हर विघ्नों को वेधती, लेकर काली रूप
चंडी ज्वाला माद्री, माँ दुर्गा प्रतिरूप
वक्षस्थल में शीतलता, सूत पूत अरु दूध
कोमलता कौशल कलुष, काल करम अनुरूप॥-3

महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ