ग़ज़ल
मात्रा भार 32, 16-16 पर यति गर बांस से बनती बांसुरी, बँसवारी न रहती बेसुरी हर बांस की कोठी करारी,
Read Moreमात्रा भार – 24, 12-12 पर यति……….. देखों भी नजर उनकी, कहीं और लड़ी है सहरा सजाया जिसने, बहुत दूर
Read Moreकल्पवृक्ष एक साधना, देवा ऋषि की राह पात पात से तप तपा, डाल डाल से छांह डाल डाल से छांह,
Read Moreगर्मी का महीना था | बाग में कुछ बच्चें और बडें तिलमिलाती गर्मी से बचने के लिए पेड़ों की छाँव
Read Moreआज का शीर्षक- पाप/दुष्कर्म/ अनीति समानार्थी शब्द पाप पाप होता सदा, कोई भी हो बाप डंश जाता है आबरू, दूजे
Read Moreमोहन बाँके छैल बिहारी, सखिया कीन्ह लाचारी ना ले गयो चीर कदम की डारी, हम सखी रही उघारी ना मोहन
Read Moreपुतरी खेलन हम जइबें, हो मैया ताल तलैया……. वहि ताल तलैया मैया, सारी सखियाँ सहेलिया बेर के बिरवा सजइबें, हो
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