गीतिका/ग़ज़ल

गजल/गीतिका

मात्रा भार – 24, 12-12 पर यति………..

देखों भी नजर उनकी, कहीं और लड़ी है
सहरा सजाया जिसने, बहुत दूर खड़ी है
गफलत की बात होती, तो मान भी लेते
लग हाथ मेरी मेंहदी, कहीं और चढ़ी है॥

ये रश्म ये रिवाजें, ये शोहरती बाजे
है नाम का ये मंडप, सौतन जो खड़ी है॥

परदा उठा है देखों, यहाँ झूमते हैं सारे
घायल है पाँव घुंघुरू, नौ-टंकी बड़ी है॥

पकवान स्वाद मीठा, सम्मान की कड़ाही
आतीश की ये बाजी, मद-माती घड़ी है॥

सिंदूर में है ताकत, मांग मेरा मंदिर
आस मेरा कोहबर, अब सुहागन अड़ी है॥

अग्नि की है साक्षी, संग सात-सात फेरे
मंत्रों की वरमाला, गले मेरे जड़ी है॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

2 thoughts on “गजल/गीतिका

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय

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