“दोहा मुक्तक”
प्रदत शीर्षक- सिंह- केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज हे सारंग नाहर हरि, सिंह शेर मृगराज
Read Moreप्रदत शीर्षक- सिंह- केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज हे सारंग नाहर हरि, सिंह शेर मृगराज
Read Moreविषय- वर्षा उमड़ घुमड़ कर बादरा, बरसन को तैयार हवा बहे तो जल चले, वरना चह बेकार॥ आस लगी नभ
Read More1- आई बरखा नाचती गाती गोरी वन में मोर॥ 2- पानी पानी है चहु दिश बदरी पी चितचोर॥ 3- लजाये
Read Moreप्रिय सखा, नवल बिहारी स्वस्तीश्री सर्बोउपमा योग्य, अत्र कुशलम त्त्रास्तु, याद तो आई पर पांती नहीं आई, जीवन का
Read Moreसुबह सुबह जप हरी का नाम, दिन और रात . ….सुधार ले होय प्रभु की महिमा न्यारी, सुलहा…..सीख…….उधार ले।।
Read Moreमन मयूर चंचल हुआ, ढ़फली आई हाथ प्रेम प्रिया धुन रागिनी, नाचे गाए साथ नाचे गाए साथ, अलौकिक छवि सुंदरता
Read Moreप्रदत शीर्षक- शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द। शहद सरीखे लय मधुर, लाल रसीले होठ नैना पट लजवंत हैं,
Read Moreअजीब सी होती है करीब सी होती है कभी तो बहुत खुशनशीब सी होती है रूठकर बड़ी तकलीफ दे जाती
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