“गज़ल”
रातों की रानी ने कैसी अलख जगाई है चंचल कलियाँ भी मादक महक पिराई है बागों का माली चंहके
Read Moreसात भगण दो गुरु माखन मीसिरि को नहि लागत मीठ मिठाइ जु मोहन मानो आवत हो तुम मोर घरे मटकी
Read Moreबढ़ी उमर गुजरी हुई, साथी संग मुकाम रफ़्ता रफ़्ता सरकती, जीवन पहिया शाम जीवन पहिया शाम, न बिछड़े बैरी का
Read Moreकटते बाग उजड़ती धरती रूठता मेघ॥-1 लगाओ पेड़ जिलाओ तो जीवन बरसे मेह॥-2 बरसों मेघा पवन पुरवाई धरा तृप्त हो॥-3
Read Moreलो कर लो बात कहते हैं मंहगाई है आखिर पूछो तो ये कहाँ से आई है खेतों में उगने
Read More“सात भगण अंत में दो गुरु” राघव फिर अब बाण धरो वन में सिय लाल लखन संग आओ राक्षस घेरि
Read Moreशब्द/शीर्षक मुक्तक आयोजन शब्द- उपाय – युक्ति, साधन, तरकीब, तदबीर, यत्न, प्रयत्न उपाय तो बहुते हैं, करो युक्ति मन लाय
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