गीत : मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीत
मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीत मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत मैंने इस संसार में …. मुझको कभी
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Read More1.) कुण्डलिया के छंद में कुण्डलिया के छंद में, कहता हूँ मैं बात अंत समय तक ही चले, यह प्यारी
Read Moreएक टीस-सी उभर आती है जब अतीत की पगडंडियों से गुजरते हुए — यादों की राख़ कुरेदता हूँ। तब अहसास
Read Moreकौन से उज्जवल भविष्य की ख़ातिर हम पड़े हैं– महानगर के इस बदबूदार घुटनयुक्त वातावरण में। जहाँ साँस लेने पर
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