आलेख– आज़ादी के सोपान और आज का परिवेश
हम प्रति वर्ष आज़ादी दिवस मानते हैं। मनाएं भी क्यों न, इसके लिए हमारे पुरखों- पुरोधाओं ने अमिट बलिदान और
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Read Moreयूँ तो संसद में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण का मुद्दा गूंजता रहता है। महिलाओं को 33 फ़ीसद आरक्षण देने का
Read Moreऐसा माना जाता है, हम बदलेंगे, तो देश बदलेगा। ऐसे में जब हमारा देश बदलेगा, तभी हम इस सम्पूर्ण धरा
Read Moreयुवा अगर देश और समाज का कर्णधार है। तो एक अदद नौकरी उसकी जरूरत। बिना नौकरी के एक युवा न
Read Moreहम आधुनिक हो रहें हैं। धर्म को विज्ञान चुनौती दे रहा है। हम क़सीदे भी पढ़ रहें वैज्ञानिक युग में
Read Moreएक लोकतांत्रिक देश की अर्थव्यवस्था किसके पैसों पर चलती है। यह बताने की बात नहीं। आम अवाम टैक्स अदा करती
Read Moreसबके के अपने दावे होते हैं। फ़िर वह केंद्र की सरकार हो, या राज्य की रहनुमाई व्यवस्था। आज के वक्त
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Read Moreलोकसभा में हर मर्तबा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का कतई मक़सद यह नहीं हो सकता, कि यह सरकार गिराने की
Read Moreसंवैधानिक ढांचे में ज़िक्र बराबरी और समान अधिकार का किया गया है। फ़िर बराबरी अवसर की समता की हो। या
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