Author: महेश तिवारी

राजनीति

धर्म के ठेकेदार नहीं, अवाम को बेहतर व्यवस्था देने की जुगत करें!

देश की रीढ़ कृषि और भविष्य निर्माण करने वाली शिक्षा व्यवस्था दोनों की स्थिति नाजुक है। एक तरफ देश का

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सामाजिक

आलेख– सिर्फ़ राजनीतिक फाइलों में ही गांवों का रंग गुलाबी है!

राजनीति और धर्म दोनों अलग-अलग है। फिर भी आज दोनों का सियासतदानों ने सम्मोहन सिर्फ इसलिए करवा दिया है, क्योंकि

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