तेजाबी इश्क
हे प्रियतम!अब महसूस कर पायी हूँतुम्हारे प्रेम कोकितनी पीड़ा में थे प्रेम करकेहमेशा मेरी सुंदरता कीबखान करते थे।गजगामिनी,मृगनयनी कभीदामिनी कहकर
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