नारी कभी ना हारी
सह लेती हैं वो दुख सारे पर सारे दुख उससे हारे। ज़ुल्म करता रहा उस पर ज़माना कोई सुनता नहीं
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Read Moreहाँ एक रिश्ता है तुम्हारे साथ,….. बड़ा ही पावन पवित्र ”दोस्ती का रिश्ता” जानते हो न……. दोस्ती कोई शब्द नहीं,…..
Read Moreक्यों हावी हो जाता है हमारे रिश्तों पर झूठे अहंकार का आवरण? बेवज़ह की ग़लत फ़हमियां, जो तार तार कर
Read More”आ गए गुलछर्रे उड़ा कर” दरवाज़ा खोलते ही रूचि ने व्यंग्य से रोहन को बोला”. ”ये क्या कह रही हो ?”
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