भव भँवर पार
भव-भँवर-पार दिल कश्ती ने पीड़ा का सागर छिपा रखा मुस्कानों की लहरें जग में रंग दिखाती भव भँवर में मंजु
Read Moreभव-भँवर-पार दिल कश्ती ने पीड़ा का सागर छिपा रखा मुस्कानों की लहरें जग में रंग दिखाती भव भँवर में मंजु
Read Moreजीवन ज्योत जलाकर माँ ने ! बनाया घर – जग को मंदिर सपना सींचा स्नेह , शक्ति से मुश्किलों
Read Moreनमन मित्रता दिवस की महक से महके आप सब। हाइकु १ रिश्ता न खून का , मेरे संग दोस्त
Read Moreशिक्षाविद , दार्शनिक , वैज्ञानिक , आध्यात्मिक , संगीतज्ञ , राजनीतिज्ञ , कवि – लेखक और चिंतक भारत रत्न महामहिम
Read Moreपिता की ममता का न , है कोई भी छोर . नहीं है ऐसा जग में , उन -सा
Read Moreअँधेरी राहें हुई उजली जब प्रेम संग – संग चला। जब मिले थे मैं – तुम पहली बार लाए थे
Read Moreसूख गई संजीवनी जड़ भोर किरण जो सेवाओ से सवेरा लायी समाज – देश उसका ऋणी संग – साथ ,
Read More( मेरी माँ शान्ति देवी को समर्पित, जो ईश के संग मुझे दे रही आशीर्वाद ) हुई अनंत कृपा
Read Moreस्त्री – पुरुष कामगार में , करे भेद सरकार। महिलाओं को पुरुष से , कम मिले है पगार। १
Read More