Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

उपासना, उपासना की आवश्यकता एवं उपासना से लाभ

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। यह अकेला रहकर अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकता। इसे सज्जन पुरुषों की संगति तो

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सामाजिक

हमारी सुरक्षा हमारी समान विचारधारा के लोगों के संगठित होने पर ही संभव

मनुष्य मननशील प्राणी है। वह सभी विषयों पर विचार करता है और उन पर अपनी स्वतन्त्र सम्मति वा राय रखता

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

नियमित स्वाध्याय सब मनुष्यों के जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिये

मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अजर, अमर, सूक्ष्म, ससीम, जन्म-मरणधर्मा, कर्म के बन्धनो में बंधी हुई, वेद ज्ञान प्राप्त कर

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विजया-दशमी दशहरा पर्व और रावण के वध की यथार्थ तिथि

प्रत्येक वर्ष भारत व देशान्तरों में जहां भारतीय रहते हैं, आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा पर्व मनाते हैं।

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इतिहास

देश की आजादी को समर्पित आदर्श जीवन : मृत्युंजय भाई परमानन्द

ओ३म् स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास में भाई परमानन्द जी का त्याग, बलिदान व योगदान अविस्मरणीय है। लाहौर षड्यन्त्र केस में

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अन्य लेखसामाजिक

स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता महर्षि दयानन्द

ओ३म् महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने के कारण देश निर्बल हुआ

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

पृथिवी सहित समस्त सृष्टि को परमात्मा ने जीवात्माओं के लिये बनाया है

ओ३म् हमारा यह संसार अर्थात् हमारी पृथिवी, सूर्य, चन्द्र आदि सब ग्रह-उपग्रह प्रकृति नामक अनादि सत्ता से बने हैं। प्रकृति

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सात्विक धन एवं पुण्य कर्म ही लोक-परलोक में जीवात्मा के सहायक

ओ३म् मनुष्य को अपना जीवन जीनें के लिए धन की आवश्यकता होती है। भूमिधर किसान तो अपने खेतों में अन्न

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या आप तीन अनादि पदार्थों को जानते हैं?

ओ३म् हम संसार में जन्म लेकर आंखों से अपने सम्मुख विचित्र संसार को देखते हैं तो इसकी सुन्दरता एवं विविध

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के सत्यस्वरूप के ज्ञान तथा वेद प्रचार से युक्त जीवन ही सर्वोत्तम एवं श्रेयस्कर है

ओ३म् हम वर्तमान में मनुष्य हैं। हम इससे पहले क्या थे और परजन्म में क्या होंगे, हममें से किसी को

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