Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टि की आदि-ज्ञान-पुस्तक वेद का महत्व और हमारा कर्तव्य

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप की खोज एवं मृत्यु पर विजय पाने के उपायों को जानने

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मनुष्य की ही तरह पशु-पक्षियों को भी जीनें का अधिकार है

ओ३म् परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में

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ऋषियों का सन्देश कि संसार के सभी प्राणियों में एक समान आत्मा है

ओ३म् हम मनुष्य हैं। हम वेदों एवं अपने पूर्वज ऋषियों आदि की सहायता से जानते हैं कि संसार में जितनी

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वेद न होते तो सनातन धर्म, राम, कृष्ण और दयानन्द भी न होते

ओ३म् वेद शब्द का अर्थ ज्ञान है। वेद नामी ज्ञान ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद नाम की चार मन्त्र संहिताओं

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महर्षि दयानन्द की प्रमुख देन चार वेद और उनके प्रचार का उपदेश

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने वेद प्रचार का मार्ग क्यों चुना? इसका उत्तर है कि उनके समय में देश व संसार

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ऋषि दयानन्द की एक प्रमुख देन सृष्टि का प्रवाह से अनादि होने का सिद्धान्त

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने देश और संसार को अनेक सत्य सिद्धान्त व मान्यतायें प्रदान की है। उन्होंने ही अज्ञान तथा

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ऋषि दयानन्द वेदज्ञान द्वारा सब मनुष्यों को परमात्मा से मिलाना चाहते थे

ओ३म् महाभारत के बाद ऋषि दयानन्द ने भारत ही नहीं अपितु विश्व के इतिहास में वह कार्य किया है जो

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विश्व को वेदों से मिला आत्मा की अमरता व पुनर्जन्म का सिद्धान्त

ओ३म् मनुष्य जीवन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति कर सत्य व असत्य को जानना, असत्य को छोड़ना, सत्य को स्वीकार

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जीवात्मा के भीतर व बाहर व्यापक परमात्मा को जानना हमारा मुख्य कर्तव्य

ओ३म् संसार में अनेक आश्चर्य हैं। कोई ताजमहल को आश्चर्य कहता है तो कोई लोगों को मरते हुए देख कर

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अग्निहोत्र यज्ञ एवं इससे वर्तमान में होने वाले रोगमुक्ति आदि अनेक लाभ

ओ३म् अग्निहोत्र यज्ञ से होने वाले लाभों में अनागत रोगों से बचाव, प्राप्त रोगों का दूर होना, वायु-जल की शुद्धि,

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