इतिहास

देश की आजादी को समर्पित आदर्श जीवन : मृत्युंजय भाई परमानन्द

ओ३म् स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास में भाई परमानन्द जी का त्याग, बलिदान व योगदान अविस्मरणीय है। लाहौर षड्यन्त्र केस में आपको फांसी की सजा दी गई थी। आर्यसमाज के  अन्तर्गत आपने विदेशों में वैदिक धर्म का प्रचार किया। इतिहास के आप प्रोफैसर रहे एवं भारत, यूरोप, महाराष्ट्र तथा पंजाब के इतिहास लिखे जिन्हें अंग्रेजी सरकार […]

अन्य लेख सामाजिक

स्वराज्य वा स्वतन्त्रता के प्रथम मन्त्र-दाता महर्षि दयानन्द

ओ३म् महाभारत काल के बाद देश में अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास व कुरीतियां उत्पन्न होने के कारण देश निर्बल हुआ जिस कारण वह आंशिक रूप से पराधीन हो गया। पराधीनता का शिंकजा दिन प्रतिदिन अपनी जकड़ बढ़ाता गया। देश अशिक्षा, अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड व सामाजिक विषमताओं से ग्रस्त होने के कारण पराधीनता का प्रतिकार करने […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

पृथिवी सहित समस्त सृष्टि को परमात्मा ने जीवात्माओं के लिये बनाया है

ओ३म् हमारा यह संसार अर्थात् हमारी पृथिवी, सूर्य, चन्द्र आदि सब ग्रह-उपग्रह प्रकृति नामक अनादि सत्ता से बने हैं। प्रकृति की संसार में चेतन ईश्वर व जीवात्मा से भिन्न स्वतन्त्र जड़ सत्ता है। इस अनादि प्रकृति को परमात्मा व अन्य किसी सत्ता ने नहीं बनाया है। इस प्रकृति का अस्तित्व स्वयंभू और अपने आप है। […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सात्विक धन एवं पुण्य कर्म ही लोक-परलोक में जीवात्मा के सहायक

ओ३म् मनुष्य को अपना जीवन जीनें के लिए धन की आवश्यकता होती है। भूमिधर किसान तो अपने खेतों में अन्न व गो पालन कर अपना जीवन किसी प्रकार से जी सकते हैं परन्तु अन्य लोग चाहें कितने विद्वान हों, यदि नौकरी या व्यापार न करें तो उनका जीवन व्यतीत करना दुष्कर होता है। आजकल जीवन […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या आप तीन अनादि पदार्थों को जानते हैं?

ओ३म् हम संसार में जन्म लेकर आंखों से अपने सम्मुख विचित्र संसार को देखते हैं तो इसकी सुन्दरता एवं विविध पदार्थों को देखकर उन पर मुग्ध हो जाते हैं। यह संसार किससे, कब व कैसे बना? ऐसे प्रश्न बुद्धिमान व कुछ ज्ञान रखने वाले मनुष्य के मन में उपस्थित होते हैं। इसका प्रायः यही उत्तर […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के सत्यस्वरूप के ज्ञान तथा वेद प्रचार से युक्त जीवन ही सर्वोत्तम एवं श्रेयस्कर है

ओ३म् हम वर्तमान में मनुष्य हैं। हम इससे पहले क्या थे और परजन्म में क्या होंगे, हममें से किसी को पता नहीं। यह सुनिश्चित है कि इस जन्म से पूर्व भी हमारा अस्तित्व था और मृत्यु के बाद भी हमारी आत्मा का अस्तित्व रहेगा। हमारी विशेषता है कि हमारे पास अन्य पशु-पक्षियों से भिन्न प्रकार […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने सबसे पहले विद्रोह की आवाज उठाईः डा. सोमदेव शास्त्री

ओ३म् [निवेदन- स्वाध्याय व ज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण आज हम डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई का देहरादून के गुरुकुल पौंधा मे दिनांक 1-6-2016 को दिया गया व्याख्यान प्रस्तुत कर रहे हैं जो उन्होंने यहां आयोजित ‘सत्यार्थप्रकाश कार्यशाला’ में दिया था। हम आशा करते हैं कि पाठक इस व्याख्यान में प्रस्तुत विचारों से लाभान्वित होंगे। इससे […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टि की आदि-ज्ञान-पुस्तक वेद का महत्व और हमारा कर्तव्य

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप की खोज एवं मृत्यु पर विजय पाने के उपायों को जानने के लिये देश के अनेक स्थानों पर जाकर विद्वानों की संगति व दुर्लभ पुस्तकों के अध्ययन  में बिताया था। इस प्रयोजन के लिये ही उन्होंने अपने माता-पिता सहित बन्धु-बान्धवों, कुटुम्बियों व जीवन के सभी सुखों […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य की ही तरह पशु-पक्षियों को भी जीनें का अधिकार है

ओ३म् परमात्मा ने संसार में जीवात्माओं के कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी-योनियों को बनाया है। हमने अपने पिछले जन्म में आधे से अधिक शुभ व पुण्य कर्म किये थे, इसलिये ईश्वर की व्यवस्था से इस जन्म में हमें मनुष्य जन्म मिला है। जिन जीवात्माओं के हमसे अधिक अच्छे कर्म थे, उन्हें अच्छे माता-पिता व परिवार […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषियों का सन्देश कि संसार के सभी प्राणियों में एक समान आत्मा है

ओ३म् हम मनुष्य हैं। हम वेदों एवं अपने पूर्वज ऋषियों आदि की सहायता से जानते हैं कि संसार में जितनी मनुष्येतर योनियां पशु, पक्षी, कीट-पतंग व जीव-जन्तु आदि हैं, उन सबमें हमारी आत्मा के समान ही एक जैसी जीवात्मा विद्यमान है। यह जीवात्मा शरीर से पृथक एक सत्य, सनातन एवं चेतन सत्ता है। जीवात्मा इच्छा […]