ईश्वर हमें अभद्र छोड़ने और भद्र को ग्रहण करने की प्रेरणा करता है
ओ३म् जिस प्रकार से संसार में सुख व दुःख, विद्या व अविद्या, दिन और रात, विद्वान व मूर्ख, अच्छे व
Read Moreओ३म् जिस प्रकार से संसार में सुख व दुःख, विद्या व अविद्या, दिन और रात, विद्वान व मूर्ख, अच्छे व
Read Moreओ३म् मनुष्य अपने पूर्वजन्मों के अभुक्त कर्मों का फल भोगने, विद्या प्राप्ति तथा ईश्वर प्राप्ति की साधना द्वारा आत्मा की
Read More-जिस मृतक मनुष्य की कीर्ति है वह मरकर भी जीवित है- आर्यसमाज सभी ऋषि दयानन्द भक्तों की माता के समान
Read Moreओ३म् –आर्यसमाज स्थापना दिवस पर- आर्यसमाज की स्थापना वेदों के महान विद्वान ऋषि दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, 1875
Read Moreओ३म् संसार में मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के कर्म करता है। यह कर्म पाप व पुण्य कहलाते हैं। पुण्य कर्म
Read Moreओ३म् आर्यसमाज में आर्योपदेशक पं. रुचिराम जी ऐसे ऋषिभक्त प्रचारक हुए हैं जिन्होंने पैदल ही अरब देशों में जाकर वहां
Read Moreओ३म् मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को ग्रहण करने से बनता है। विश्व में अनेक मत, सम्प्रदाय आदि हैं।
Read Moreओ३म् हम मनुष्य कहलाते हैं। हम वस्तुतः सदाचार को धारण कर मनुष्य बन सकते हैं परन्तु सदाचारी व धर्मात्मा मनुष्य
Read Moreवैदिक वा पौराणिक मान्यता के अनुसार वीर हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में और फलित ज्योतिष के
Read Moreआज 8 अप्रैल, 2020 को सामवेद के संस्कृत और हिन्दी भाषा के प्रामाणिक भाष्यकार आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की
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