Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर हमें अभद्र छोड़ने और भद्र को ग्रहण करने की प्रेरणा करता है

ओ३म् जिस प्रकार से संसार में सुख व दुःख, विद्या व अविद्या, दिन और रात, विद्वान व मूर्ख, अच्छे व

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मसामाजिक

देश काल तथा परिस्थितियों में स्वयं को ढालना मनुष्य का कर्तव्य

ओ३म् मनुष्य अपने पूर्वजन्मों के अभुक्त कर्मों का फल भोगने, विद्या प्राप्ति तथा ईश्वर प्राप्ति की साधना द्वारा आत्मा की

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इतिहास

ऋषि दयानन्द के सच्चे भक्त एवं वेद प्रचारक आचार्य भद्रसेन, अजमेर

-जिस मृतक मनुष्य की कीर्ति है वह मरकर भी जीवित है- आर्यसमाज सभी ऋषि दयानन्द भक्तों की माता के समान

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इतिहासधर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज ही ईश्वर प्रवृत्त ज्ञान चार वेदों का प्रतिनिधि व प्रचारक है

ओ३म् –आर्यसमाज स्थापना दिवस पर- आर्यसमाज की स्थापना वेदों के महान विद्वान ऋषि दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, 1875

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मसामाजिक

गाय आदि पशुओं की हत्या का अभिशाप देश को भोगना पड़ता है

ओ३म् संसार में मनुष्य मुख्यतः दो प्रकार के कर्म करता है। यह कर्म पाप व पुण्य कहलाते हैं। पुण्य कर्म

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इतिहास

पैदल अरब देशों में जाकर आर्यसमाज स्थापित करने वाले ऋषिभक्त पंडित रुचिराम आर्योपदेशक

ओ३म् आर्यसमाज में आर्योपदेशक पं. रुचिराम जी ऐसे ऋषिभक्त प्रचारक हुए हैं जिन्होंने पैदल ही अरब देशों में जाकर वहां

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर ने हम जीवात्माओं को मनुष्य क्यों बनाया?

ओ३म् हम मनुष्य कहलाते हैं। हम वस्तुतः सदाचार को धारण कर मनुष्य बन सकते हैं परन्तु सदाचारी व धर्मात्मा मनुष्य

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इतिहास

वैदिक संस्कृति के उज्जवल नक्षत्र हनुमान जी के कुछ गौरवपूर्ण कार्य

वैदिक वा पौराणिक मान्यता के अनुसार वीर हनुमान जी का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में और फलित ज्योतिष के

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इतिहास

सामवदेभाष्यकार आचार्य रामनाथ वेदालंकार का महान व्यक्तित्व

आज 8 अप्रैल, 2020 को सामवेद के संस्कृत और हिन्दी भाषा के प्रामाणिक भाष्यकार आचार्य डा. रामनाथ वेदालंकार जी की

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