Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हम वस्तुतः कौन हैं, क्या शरीर हैं अथवा आत्मा हैं?

ओ३म् हम अपने नाम, माता-पिता तथा आचार्य आदि के नामों व सम्बन्धों से जाने पहचाने जाते हैं। हमें स्कूलों में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज ने वैदिक धर्म का पुनरुद्धार और देशोत्थान का कार्य किया

ओ३म् ऋषि दयानन्द (1825-1883) के समय में सृष्टि के आदिकाल से आविर्भूत ज्ञान व विज्ञान पर आधारित सत्य सनातन वैदिक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर है और वह अनुमान व प्रत्यक्ष प्रमाणों से सिद्ध है

ओ३म् प्रायः सभी मत-मतान्तरों में ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है परन्तु उनमें से कोई ईश्वर के यथार्थ

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर सुयोग्य व पात्र भक्त व उपासकों की प्रार्थना स्वीकार करता है

ओ३म् मनुष्य अपने पूर्वजन्म के कर्मों वा प्रारब्ध के अनुसार इस सृष्टि में जन्म लेता है। उसने जो कर्म किये

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा वेदज्ञान न देता तो अद्यावधि सभी मनुष्य अज्ञानी व असभ्य होते

ओ३म् वर्तमान संसार अनेक भाषाओं एवं ज्ञान-विज्ञान से युक्त है। इन सब भाषाओं एवं ज्ञान-विज्ञान का विकास कैसे व कब

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषिभक्त स्वामी श्रद्धानन्द जी को बलिदान दिवस पर सादर नमन

ओ३म् आज स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती जी महाराज का पावन बलिदान दिवस है। आज 23 दिसम्बर के दिन ही सन् 1926

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद और सद्धर्म की रक्षा के लिये संगठन एवं शुद्धि आवश्यक है

ओ३म् अपनी रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का धर्म व कर्तव्य है। यह रक्षा न केवल शत्रुओं से अपितु आदि-व्याधि वा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमनें ऋषि दयानन्द के उपकारों को न तो जाना है और न उनसे उऋण होने का प्रयत्न किया है

ओ३म् महाभारत युद्ध के बाद देश का सर्वविध पतन व पराभव हुआ। इसका मूल कारण अविद्या था। महाभारत के बाद

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ऋषि दयानन्द की संसार को देन वेदों में वर्णित ईश्वर का प्रामाणिक सत्य स्वरूप

ओ३म् यह निर्विवाद है कि मूल वेद संहितायें ही संसार में सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद शब्द का अर्थ ही

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

परमात्मा और हम चेतन होने के कारण सजातीय हैं:  स्वामी चित्तेश्वरानन्द

आर्यसमाज प्रेमनगर, देहरादून का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव आज दिनांक 22-12-2019 को सोल्लास आरम्भ हुआ। प्रातः पं0 वेदवसु  शास्त्री जी ने

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