क्या हम मनुष्य हैं?
ओ३म् हम स्वयं मनुष्य कहते व मानते हैं। संसार में जहां भी दो पैर वाले मनुष्य की आकृति वाले प्राणी
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Read Moreओ३म् संसार में जीवात्माओं को परमात्मा की कृपा से अपने-अपने कर्मानुसार भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म प्राप्त होता रहता है। सभी
Read Moreओ३म् परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को देने का उद्देश्य अमैथुनी सृष्टि
Read Moreओ३म् वैदिक सिद्धान्त है कि संसार में ईश्वर, जीव और प्रकृति तीन अनादि व नित्य सत्तायें हैं। यह तीनों सत्तायें
Read Moreओ३म् परमात्मा ने मनुष्य को शरीर दिया है जिसमें अनेक बाह्य एवं आन्तरिक अंग–प्रत्यंग हैं। इन अंगों में एक अंग
Read Moreओ३म् –आर्यसमाज के महाधन स्वामी दर्शनानन्द जी- स्वामी दर्शनानन्द जी का आर्यसमाज के गौरवपूर्ण इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। आपका
Read Moreओ३म् परमात्मा ने सृष्टि में अनेक प्राणियों को बनाया है जिनमें एक मनुष्य भी है। मनुष्य योनि में मनुष्य के
Read Moreओ३म् हम इस ब्रह्माण्ड के पृथिवी नामी ग्रह पर रहते हैं। इस ब्रह्माण्ड को सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, नित्य
Read Moreओ३म् हम संसार में अपनी अपनी माता के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं वा हमने अपनी माता से जन्म लिया
Read Moreओ३म् मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अजर, अमर, सूक्ष्म, ससीम, जन्म-मरणधर्मा, कर्म के बन्धनो में बंधी हुई, वेद ज्ञान प्राप्त
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