Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद दो पाये पशु को मनुष्य बनाने के साथ उसे ईश्वर से मिलाते हैं

ओ३म् संसार में जीवात्माओं को परमात्मा की कृपा से अपने-अपने कर्मानुसार भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म प्राप्त होता रहता है। सभी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

देश में गुरुकुल होंगे तभी वेदप्रचारक विद्वान मिल सकते हैं

ओ३म् परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को देने का उद्देश्य अमैथुनी सृष्टि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर सदा-सर्वदा सबको प्राप्त है किन्तु सदोष अन्तःकरण में उसकी प्रतीती नहीं होती

ओ३म् वैदिक सिद्धान्त है कि संसार में ईश्वर, जीव और प्रकृति तीन अनादि व नित्य सत्तायें हैं। यह तीनों सत्तायें

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हे ईश्वर! आप हमें भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति के लिए सद्बुद्धि प्रदान करें

ओ३म् परमात्मा ने मनुष्य को शरीर दिया है जिसमें अनेक बाह्य एवं आन्तरिक अंग–प्रत्यंग हैं। इन अंगों में एक अंग

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती का आर्यसमाज के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान

ओ३म् –आर्यसमाज के महाधन स्वामी दर्शनानन्द जी- स्वामी दर्शनानन्द जी का आर्यसमाज के गौरवपूर्ण इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। आपका

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां देवता समान अच्छे मनुष्य नहीं होते

ओ३म् परमात्मा ने सृष्टि में अनेक प्राणियों को बनाया है जिनमें एक मनुष्य भी है। मनुष्य योनि में मनुष्य के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

संसार के राजा ईश्वर का कहीं कोई प्रतिद्वंदी नहीं

ओ३म् हम इस ब्रह्माण्ड के पृथिवी नामी ग्रह पर रहते हैं। इस ब्रह्माण्ड को सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, अनादि, नित्य

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सन्तान के जीवन में माता-पिता का स्थान स्वर्ग से भी बढ़कर है

ओ३म् हम संसार में अपनी अपनी माता के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं वा हमने अपनी माता से जन्म लिया

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

प्रतिदिन स्वाध्याय सबके जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिये

ओ३म् मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अजर, अमर, सूक्ष्म, ससीम, जन्म-मरणधर्मा, कर्म के बन्धनो में बंधी हुई, वेद ज्ञान प्राप्त

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