वैदिक समाज व्यवस्था में शूद्र वर्ण के कर्तव्य एवं अधिकार
ओ३म् वैदिक समाज व्यवस्था को वैदिक वर्ण व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। वर्ण का अर्थ चुनना या चयन
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Read Moreओ३म् संसार में अनेक देश है जिनकी कुल संख्या 195 है। इनमें से कोई भी देश मानवता की दृष्टि, ईश्वर
Read Moreओ३म् आजकल सत्य और अहिंसा की बात बहुत की जाती है। वस्तुतः सत्य और अहिंसा क्या है और इनका उद्गम
Read Moreओ३म् हम ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी संवत् 1932 को आर्यसमाज की स्थापना के कार्य को एक दैवीय
Read Moreओ३म् मनुष्य का आत्मा चेतन तथा शरीर जड़ पदार्थों से बना हुआ होने से शरीर की सत्ता जड़ है। चेतन
Read Moreओ३म् हमारा आज का संसार 1.96 अरब वर्ष पूर्व तब अस्तित्व में आया था जब सृष्टिकर्ता परमात्मा ने इस सृष्टि
Read Moreओ३म् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात् 18 मार्च, सन् 2018 से नव सृष्टिसंवत एवं विक्रमी संवत्सर का आरम्भ हो रहा है।
Read Moreओ३म् सबसे बड़े व गुण, कर्म, स्वभाव आदि में सबसे श्रेष्ठ को ‘‘महान्” कहते हैं। ऐसी सत्ता यदि कोई है
Read Moreहम इस संसार में रह रहे हैं जो हमें अपने जन्म से पूर्व से बना बनाया प्राप्त हुआ है। हमें
Read Moreओ३म् इस संसार में तीन शाश्वत सत्तायें हैं जिनके नाम हैं ईश्वर, जीव व प्रकृति। ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ,
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