Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आनन्दस्वरूप ईश्वर से ही मनुष्य को असीम सुख की प्राप्ति सम्भव है

ओ३म् संसार में आज का मनुष्य यदि किसी चीज की खोज करता हुआ दीखता है तो वह चीज सुख व

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य का आत्मा सत्याऽसत्य को जानने वाला है इतर पशु आदि का नहीं

ओ३म् सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द जी ने कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं। उनके शब्द हैं ‘मनुष्य का

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं

ओ३म् संसार में दो प्रकार की रचनायें हैं। प्रथम अपौरुषेय कहलाती हैं जिन्हें कि मनुष्य व मनुष्य समूह मिलकर भी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

संसार का उपकार और मनुष्यों की शारीरिक-आत्मिक-सामाजिक उन्नति

ओ३म् मनुष्य व अन्य प्राणियों का जीवन प्रकृति प्रदत्त संसाधनों एवं दूसरों के उपकार के कार्यों पर निर्भर है। प्रकृति

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मूर्तिपूजा पर ऋषि दयानन्द का अकेले काशी के 40 दिग्गज विद्वानों से सफल शास्त्रार्थ

ओ३म् -काशी शास्त्रार्थ की १४८ वी वर्षगांठ-  ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में जो महान् कार्य किए उनमें से एक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जन्म व मृत्यु से जुड़े कुछ प्रश्नों पर विचार

ओ३म् मनुष्य एक शरीरधारी जीवात्मा को कहते हैं जो मनुष्यों के समान आकृति सहित मननशील प्राणी होता है। जीवात्मा एक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेद संसार के सबसे प्राचीन व महान ग्रन्थ हैं

ओ३म् आज के संसार में सभी देशों में अनेकानेक विषयों के ग्रन्थों की निरन्तर रचना होने के साथ उनका अध्ययन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सभी मनुष्य ईश्वर, ऋषियों, वेदमाता, माता-पिता, आचार्यों, प्रकृति, गोमाता, स्वदेश के ऋणी हैं

ओ३म् सभी मनुष्य संसार के रचयिता ईश्वर व अपने माता-पिता के सबसे अधिक ऋणी हैं। इसके साथ ही वह भूमि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्त्री जाति के हितों के रक्षक व उद्धारक ऋषि दयानन्द सरस्वती

ओ३म् मध्यकाल में जब भारत कमजोर हुआ और यहां छोटे छोटे राज्य बन गये, साथ ही चहुं ओर अविद्या फैल

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के गुणों, उपकारों का स्मरण व उसका धन्यवाद सन्ध्या है

ओ३म् मनुष्य जो भी काम करता है वह विचार कर ही करता है। जो मनुष्य विचार किये बिना काम करे

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