आनन्दस्वरूप ईश्वर से ही मनुष्य को असीम सुख की प्राप्ति सम्भव है
ओ३म् संसार में आज का मनुष्य यदि किसी चीज की खोज करता हुआ दीखता है तो वह चीज सुख व
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Read Moreओ३म् सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द जी ने कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं। उनके शब्द हैं ‘मनुष्य का
Read Moreओ३म् संसार में दो प्रकार की रचनायें हैं। प्रथम अपौरुषेय कहलाती हैं जिन्हें कि मनुष्य व मनुष्य समूह मिलकर भी
Read Moreओ३म् मनुष्य व अन्य प्राणियों का जीवन प्रकृति प्रदत्त संसाधनों एवं दूसरों के उपकार के कार्यों पर निर्भर है। प्रकृति
Read Moreओ३म् -काशी शास्त्रार्थ की १४८ वी वर्षगांठ- ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन में जो महान् कार्य किए उनमें से एक
Read Moreओ३म् मनुष्य एक शरीरधारी जीवात्मा को कहते हैं जो मनुष्यों के समान आकृति सहित मननशील प्राणी होता है। जीवात्मा एक
Read Moreओ३म् आज के संसार में सभी देशों में अनेकानेक विषयों के ग्रन्थों की निरन्तर रचना होने के साथ उनका अध्ययन
Read Moreओ३म् सभी मनुष्य संसार के रचयिता ईश्वर व अपने माता-पिता के सबसे अधिक ऋणी हैं। इसके साथ ही वह भूमि
Read Moreओ३म् मध्यकाल में जब भारत कमजोर हुआ और यहां छोटे छोटे राज्य बन गये, साथ ही चहुं ओर अविद्या फैल
Read Moreओ३म् मनुष्य जो भी काम करता है वह विचार कर ही करता है। जो मनुष्य विचार किये बिना काम करे
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