मेरी चाह
दूर अंधेरा कर देने को दीपक सा जल पाऊँ मैं चाह यही है काल से पहले ऐसा कुछ रच जाऊँ
Read Moreपूरी दुनिया नतमस्तक हो , माँ भारती का सम्मान करें कहो कौन बनेगा नीलकंठ , जो हँस कर के विषपान
Read Moreरेल में बैठे थे यात्री कई हजार सफर में मशगूल , खुशियाँ अपरंपार पर अचानक घटित हुआ कुछ ऐसा इक
Read Moreसबने केवल गीत लिखे है ,लैला शीरीं हीर के कोई गीत नही लिखता है , भारत माँ की पीर के
Read Moreतब भी दुश्मन ही जीता था , भारत माँ ही हारी थी जीत नही थी वो भी तेरी, वो तेरी
Read Moreवो जब चाहे आकर दंगा कर ले कोई बात नहीं बीच राह बहनों को नंगा कर ले कोई बात नहीं
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