गुरु दक्षिणा
‘चल ओए जग्गेया ! गड्डी से उतरकर पिछले टायरों में पत्थर लगा दे ! मैं जरा हल्का होकर आता हूं’
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Read Moreचिंकी आज खुश नहीं है जरा भी नहीं ..वरना सुबह के आठ बजे तक वह बिस्तर पर कभी नहीं टिकती
Read Moreविजयपुर किसी जन्नत से कम नहीं था. पहाड़ पर बसा एक बेहद खुबसूरत गाँव. उसके ऊपर कुछ था तो केवल
Read Moreदुकान काका की पुश्तैनी है, पुरखों की वह निशानी है, वह उन दिनों से उनकी है संगी, जब परिवार पर
Read Moreपहले पहल जब था मान उसका उस मध्यवर्गीय घर में , था उसमें भी माद्दा जब दर्शकों की भीड़ खींच
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