ग़ज़ल – हम कितने लाचार हो गये
हम कितने लाचार हो गये रद्दी का अखबार हो गये बीच भंवर में डूबी नौका समझे हम तो पार हो
Read Moreहम कितने लाचार हो गये रद्दी का अखबार हो गये बीच भंवर में डूबी नौका समझे हम तो पार हो
Read Moreकल तक दावा था यह घर मेरा है सत्य यही है यह तो रैन बसेरा है सफर रूह का जब
Read Moreकागजी हैं दोस्त सब बातें बनाना जानते हैं गम मेरा सबसे बड़ा वो ये जताना जानते हैं कहां से आ
Read Moreकिचन में मिल गए हो तुम सहारा हो तो ऐसा हो जिधर देखूं तूम्हीं तुम हो नजारा हो तो ऐसा हो पडे
Read More-१- हंसी खुशी का मौज मजे का होली का त्योहार जिस पर पडे रगं का छींटे,बुरा ना माने यार मिटाती नफरत
Read Moreलैला लैला रटते रटते मंजनू हुआ दीवाना था यह भी मोदी मोदी रटते पागलखाने जाएंगे लेकिन जब इतिहास लिखा जाएगा
Read Moreजाने हो कब मयस्सर दीदार लखनऊ का इकरार लखनऊ का, इसरार लखनऊ का एहसास उनको क्या हो शाम ए अवध की जन्नत
Read Moreसुबह से शाम तक सब पर बड़े एहसान करती है हमेशा अपने मायके का स्वयं गुणगान करती है बड़ी अच्छी
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