महबूब की मुस्कान हुआ करती है।
रोशनी कुछ इस तरह आजकल मेरे घर में हुआ करतीं हैं। ख़ून की बूंदें,बनकर अश्क आंखों से गिरा करती हैं।
Read Moreरोशनी कुछ इस तरह आजकल मेरे घर में हुआ करतीं हैं। ख़ून की बूंदें,बनकर अश्क आंखों से गिरा करती हैं।
Read Moreमेहबुब मेरे इस तरह से अब हमको रुसवा न करो , मुहब्बत है, खेल नहीं है , तुम कोई तमाशा
Read Moreलोग तन्हाई में आँसू बहाते होंगेयाद कर मांजी को दिल भी जलाते होंगेमेरे मुकद्दर में उजाले की किरन कहाँलोग बेकार
Read Moreसुबह हो या शाम वो बस मसरूफ़ ही रहती है, इतवार हो या के कोई भी छुट्टी काम में लगी रहती
Read Moreएक चेहरा जो मेरे ज़हन में हर वक़्त बना रहता है। जागते में सोते में रह रह कर मुझको सदा देता है।
Read Moreरातों को हमें नींद अब आती ही कहां है।नजरों में समाकर दिल में उतर गया कोई। पनघट भी है उदास
Read Moreसरकार इस तरह से तो अब हमको रुसवा न करो, मुहब्बत खेल नहीं है, तुम कोई तमाशा न करो, ज़माने
Read Moreतुम जो बिछड़े तो मैं बिखर जाऊंगा । तन्हा , बताओं कैसे मैं सहर पाऊंगा । बातें बन जाती बिगड़ी भी बनाएं
Read Moreदहशते दर्दे कोरोना हर तरफ़ दिखाई देता है , जज़्बा – ए – मोहब्बत भी दिलों में दिखाई देता है
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