लघु उपन्यास : करवट (पहली क़िस्त)
गाँव के पहरे पर बैठे हुए ग्राम देवता अपने मन्दिर में से सभी कहारों की बस्ती के रखवाले बनकर सदा
Read Moreगाँव के पहरे पर बैठे हुए ग्राम देवता अपने मन्दिर में से सभी कहारों की बस्ती के रखवाले बनकर सदा
Read Moreहर अन्त के बाद उजालों की रफ्तारदेखते ही बनतीतोरण हमेशा ही करते हैं स्वागतआने दो सुबह कीकेवल किरणसब इसी तरह बदलते हुएदिखेगा
Read Moreरोकना मत राह, चाह है बढ़ते जाना। तोड़ना मत फूल, उन्हें है खिलते जाना। भूलना उनको, न था जिन पर
Read Moreहौसलों को कभी कम न करो, आंखों को कभी नम न करो| कुछ तो सोंच रही होगी तुमसे, पूरी करो
Read Moreतोड़कर आईना शर्मशार आज नारी है, हाथों के स्पर्श से डरती आज नारी है। मर्मस्पर्शी भावना कोमल हृदय धारी है,
Read More