तू कच्ची सी ज़िद्द है तो
तू कच्ची सी ज़िद्द है तो हूँ मै इतराती रज़ा कोई। बने हसीन गुनाह अगर तो मै प्यारी सी सज़ा
Read Moreतू कच्ची सी ज़िद्द है तो हूँ मै इतराती रज़ा कोई। बने हसीन गुनाह अगर तो मै प्यारी सी सज़ा
Read Moreये सच अगर होता, की कुछ भी देखता नही।। पत्थर की आँखें धीरे से, वो पोंछता नही।। ज़ख्मों पे मरहम,
Read Moreठहराव नही अच्छा ‘मनवा’, सम्भव है, पुनः छले जाओ। स्मृतियाँ न पीछा छोड़ेंगी, चाहे तुम कहीं चले जाओ। पर तुमने
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