वो शाम
मुझे याद है वो शाम जब तुम पहली बार मेरे पास आई थीं आंखे नीचे किये थोड़ा मुस्कुराई थी तुम्हारी
Read Moreमुझे पता है तू मुझसे मिलने के लिए अपनी किस्मत से लड़ रही होगी अपनी सखियों की आई डी से
Read Moreअक्सर देखता हूँ ए महेश, सुबह सुबह पीठ पर बोरी लटकाए हुए बच्चे 2 टूक रोटी के लिए तरसाये हुए
Read Moreमेरी आँखों मे देख क्या क्या नज़र आता है हक़ीक़त है या ख्वाब नज़र आता है तुम्हे तो लगता होगा
Read Moreतुझसे न दूर हो पाऊंगा सोचा था तुझे भूल जाऊंगा किसी ओर से दो बातें करके तेरी यादों से निकल
Read Moreजाने क्यों जब भी तुम्हे रोते हुए देखता हूँ सोचता हूँ खुद को कोई ऐसी सज़ा दूं जो ख़त्म कर
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