सुख की तलाश
क्यों देखता तू यहां वहां अपने भीतर तू जाके देख जीवन के सुख क्या पायेगा अन्तर्मन् का सुख पाके देख
Read Moreक्यों देखता तू यहां वहां अपने भीतर तू जाके देख जीवन के सुख क्या पायेगा अन्तर्मन् का सुख पाके देख
Read Moreयूं रोज़ रोज़ मुझे न सताया करो तुम रह रह कर आंसू न बहाया करो तुम माना के हम दुनियावी
Read Moreअब तो हर पल उनका ही चेहरा याद आने लगा है अभी तक बिताये थे जो लम्हे साथ साथ जाने
Read Moreमेरी कवितायें उन्हें उनकी मोजुदगी का अहसास करवाती हैं शायद कभी मिल नही पाये इसलिए उन्हें खुद को खुद से
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