आसमान का परिंदा
यूँ तो खुद को वोआसमान का परिंदा कहता हैमगर मुझसे वो अपनीहद में रहकर मिलता है। वो माहिर है हर राजछुपाने
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Read Moreखो ना जाए भीड़ में स्वयं की तू पहचान रख राहें तेरी, मंजिल तेरी निरंतर चल कुछ निशान रख। तेज़
Read Moreअलग संघर्ष हैं सबके अलग सबकी कहानी है किसी का जीवन अग्नि सा तो कोई बहता पानी है। रचे हैं ईश ने
Read Moreहे जगत जननी दुर्गे अंबे, हे महामाया अंबिका, तोडो ये चक्रव्यूह अब, मन जिसमें मेरा उलझ रहा, नहीं ज्ञान मुझको
Read Moreजो बीत गई वह बात ना कर, नये दिन की नई चेतना, उमंग मन में भर,है मुश्किल सही सब भूलना,
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