ये पानी की बूंदें…
ये दरकते पहाड़, ये खिसकती ज़मीनें,नदियों में बहकर, सिमटती ज़मीनें,ये पानी की बूंदे डराने लगी हैं,ये जबसे ज़मीं को बहाने
Read Moreये दरकते पहाड़, ये खिसकती ज़मीनें,नदियों में बहकर, सिमटती ज़मीनें,ये पानी की बूंदे डराने लगी हैं,ये जबसे ज़मीं को बहाने
Read Moreकीमत सावन की जानने को,खुद पतझड़ होना पड़ता है, फल यूँ ही नहीं मिल जाता है,पौधा भी बोना पड़ता है,
Read Moreलोक फेल है, तन्त्र फेल है, कल पुर्जे और यन्त्र फेल हैं, स्वागत है गणतंत्र में अपने, बड़े बड़े यहाँ
Read Moreनारी तू नारायणी, तू आधार जगत का है, वरदान है तू वरदायनी, नारी तू नारायणी। . नारी तू नारायणी, तुझसे
Read Moreये तेरा दल ये मेरा दल हो हाथ झाड़ू या कमल जहाँ मिले मलाइयाँ वहीं को चल वही को चल।
Read Moreऔर कोई ग़म फिर ग़म न लगा, इक तेरे जाने के ग़म के बाद। बैठे हैं मुँह फेर के सच्चाइयों
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