जीवन
तृष्णा और छल-छदम् मिटाओ | प्रेमभाव अपने हृदय में जगाओ || शुष्क मन को पुष्प सा खिलाओ | राग द्वेष
Read Moreभौतिकता हो गई है हावी रिश्तों की मर्यादा पर हर रिश्ता सिकुड़ गया और जलकर राख हुआ स्वार्थ की भट्टी
Read Moreदेर शाम तक मौसम रौद्ररुप दिखाता रहा। ओलों भरी बरसात ने मई के महीने को जनवरी जैसा ठण्डा बना दिया
Read Moreचीन में जन्मा कोरोना मांसाहार व अभक्ष्य आहार की देन है | आज कोरोना ने पूरे विश्व पर खतरा पैदा
Read Moreमैं टूटकर बिखर सा गया हूँ मैं रेत सा फिसल सा गया हूँ मांझी के भरोसे बैठा हूँ लेकर कश्ती
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