लघुकथा – पश्चाताप के आँसू
विनय प्रताप का नया-नया तबादला हुआ था | यह शहर उसके लिए बिल्कुल नया था | दोपहर को चाय पीने
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Read Moreसारा आदिवासी समुदाय फ़ॉरेस्ट ऑफिसर के अत्याचारों से कराह रहा था | वो जब भी जंगल में राउंड मारने आता,
Read Moreफोन की घंटी घनघना हुठी, श्मामो देवी हड़बड़ाहट में गैस चूल्हे की गैस बंद करना भूल गई और बेटे सुबोध
Read Moreफुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया, दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया हरी-भरी सुंदर बगिया में, मीठे-मीठे गीत सुनाती चिड़िया अपने मिश्रीघुले बोलों
Read Moreबरसते भादों का महीना है प्रिये तुमको भीगके जाना है बोलती कोयल कुहू-कुहू हमने तुम्हें ही अपना माना है शीतल
Read Moreराजनेताओं की चाटुकारिता नहीं मेरी कविता प्रेमिका का चाँद-तारों वाला श्रृंगार नहीं मेरी कविता धर्म-जाति, मजहब का भेद नहीं मेरी
Read Moreआ गया प्यारा स्वतंत्रता दिवस, लेकर अमर क्रांति का संदेश | छाया है चहुँओर हर्ष ही हर्ष, सबसे न्यारा-प्यारा है
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