बेटियाँ
फूल – कलियों – सी होती हैं बेटियाँ चाँद की चांदनी – सी होती हैं बेटियाँ मत तोडो इन्हें मत
Read Moreरात के दस बज रहे थे | अनुपम का विदेशीनस्लीय कुत्ता बड़े जोर- जोर से भौंक रहा था, शायद घर
Read Moreमंत्रीजी सौफे पर पड़े – पड़े टेलीविजन के चैनल बदल रहे थे, तभी उनका निजी सहायक भोला राम अपने माथे
Read More1947 से आज तक भारत को अपनों ने लूटा है, इससे पहले तमाम विदेशिओं ने लूटा | हालांकि हमारा भारत
Read Moreसिर्फ तुम्हारे लिए ——————— 1- धडकता है दिल तुम्हारा मेरे सीने में कहो कैसे समझाऊं इस नादान को बस तुम्हारा
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Read Moreसुबह के सात बज चुके थे पर मंत्रीजी अभी भी खर्राटे मार रहे थे | ऐसा लग रहा था कि
Read Moreसौ नं. की सेवा —————— बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने शुरू की सौ नं. की सेवा
Read Moreआज का रावण —————— इंसानी मुखौटे में घूम रहा है स्कूल, कॉलेज, बस स्टेंड, रेलवे स्टेशन और तो और घर
Read Moreसम्मान खरीदने की औकात नहीं मेरी हर साल आते हैं ढ़ेर सारे सूचना पत्र मेरे पास | इकट्ठा हो गये
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