गीतिका/ग़ज़ल नागेन्द्र नाथ गुप्ता 01/07/202202/07/2022 एक ग़ज़ल दर बदर सर झुकाना पड़ेगा, नाम खुद का मिटाना पड़ेगा। मन तो लगता नहीं है जहां में, फिर भी दिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल नागेन्द्र नाथ गुप्ता 03/06/2022 गीतिका अपनी कहने की आई बारी है, हर जगह खेल – कूद जारी है। जी रहे लोग आज रंजिश में, हाथ Read More