गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 25/12/2015 ग़ज़ल थोड़ी अपनी शान तो रख । पगली कुछ पहचान तो रख ।। सौदागर सब लूट रहे हैं । तू अपनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 10/12/2015 ग़ज़ल कातिलों के चमन की हर दरो दीवार लिखता हूँ । यहाँ नफ़रत के साये में वतन से प्यार लिखता हूँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 09/12/2015 ग़ज़ल मेरी खामोश मुहब्बत की निशानी तू है । हमारे जख़्म की उलझी सी कहानी तू है ।। जब भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 15/11/2015 ग़ज़ल सम्भलना है तुझे ज्यादा ये हिंदुस्तान है प्यारे । बहुत सस्ता यहां बिकने लगा ईमान है प्यारे ।। वतन मजहब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 05/11/201506/11/2015 ग़ज़ल बचे न मुल्क वह चिराग जलाए रखिये । उन लुटेरों की सियासत को चलाए रखिये ।। खा गए शौक से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 21/10/2015 ग़ज़ल सलाम ए इश्क दे गयीं जुल्फें । महफ़िलों में सवर गयीं जुल्फें ।। बड़ी सहमी हुई अदाओं में । तिश्नगी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 13/10/2015 ग़ज़ल मुखौटा इस ज़माने में कभी अच्छा नहीं लगता। हकीकत हो फ़साने में कभी अच्छा नहीं लगता।। छोड़ घर को गया Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 09/09/2015 ग़ज़ल उम्र के दायरे से अब मुहब्बत का नहीं नाता। जहाँ जेबों में गर्मी हो इश्क बिकने वहीँ जाता ।। जमाने Read More
गीत/नवगीत *नवीन मणि त्रिपाठी 22/08/2015 गीत मनुहारों का गीत लिखूंगा । मैं भी मन का मीत लिखूंगा ।। सौंदर्य की सहज कल्पना । जीवन की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 19/08/2015 ग़ज़ल : मुल्क तेरा बेवफा सा हो गया है फिर कोई चेहरा बुझा सा हो गया है । हौसलों का घर जला सा हो गया है ।। जंगे आजादी Read More