गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 18/01/2015 ग़ज़ल इश्क में इन्कलाब होने दो।सारा चेहरा गुलाब होने दो।। बंदिशें टूट गयी हैं साकी ।पूरी महफ़िल शराब होने दो।। इतनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 18/01/2015 ग़ज़ल दौरे मजहब को भुनाते रहिए। खास जुमलों को सुनाते रहिए।। बचे ना कोई अमन का फतबा। सारे फतबों को Read More
कविता *नवीन मणि त्रिपाठी 12/12/2014 गीत : अंत में ठहरे अकेले अंत में ठहरे अकेले । बचपन में कुछ मीत मिले मिल संग बहुत खेले कूदे मोटर गाडी फिर रेल चली Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 08/12/201408/12/2014 ग़ज़ल वो बागवां है ,गुलिस्तां में असर रखता है। तेरी हरकत पे निगहबान नजर रखता है।। जहाँ रकीब भी रो कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *नवीन मणि त्रिपाठी 08/12/2014 ग़ज़ल आओ मजहब की नई रीत बनाकर देखें । दर्दे इंसानियत को दिल में सजाकर देखें ।। जली हैं बेटियां अक्सर Read More