ग़ज़ल
इस चमन में शजर चन्द ऐसे रहे । जो सदा ज़ुल्म तूफ़ाँ का सहते रहे।।
Read Moreपहले जैसी चेहरों पर मुस्कान कहाँ । बदला जब परिवेश वही इंसान कहाँ ।। लोकतन्त्र में जात पात का विष
Read Moreऐ चाँद अपनी बज़्म में तू रात भर छुपता रहा । आखिर ख़ता क्या थी मेरी जो हुस्न पर पर्दा
Read Moreजब से गये हैं आप किसी अजनबी के साथ। यूँ ही तमाम उम्र कटी बेखुदी के साथ ।।
Read Moreछुपी हो लाख पर्दों में मुहब्बत देख लेते हैं । किसी चहरे पे हम ठहरी नज़ाकत देख लेते हैं ।।
Read Moreगुलाल लै के बुलावेली भौजी फागुन मा । हजार रंग दिखावेली भौजी फागुन मा ।। छनी है भांग वसारे बनी
Read Moreछू के साहिल को लहर जाती है । रेत नम अश्क़ से कर जाती है ।। सोचता हूँ कि बयाँ
Read Moreयूँ जिंदगी के वास्ते कुछ कम नहीं है वो । किसने कहा है दर्द का मरहम नहीं है वो।। सूरज
Read Moreपत्थर से चोट खाए निशानों को देखिए । बहती हुई ख़िलाफ़ हवाओं को देखिए ।। आबाद हैं वो आज हवाला
Read Moreबेखुदी की जिंदगी है आजकल । खूब सस्ता आदमी है आजकल ।। जी रहे मजबूरियों में लोग सब। महफिलों में
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