ग़ज़ल
तेरी आँखों में अभी तक है अदावत बाकी । है तेरे पास बहुत आज भी तुहमत बाकी ।। इस तरह
Read Moreआबाद इस चमन में तेरी शेखियाँ रहें । बाकी न मैं रहूँ न मेरी खूबियां रहें ।। नफ़रत की आग
Read Moreजहर कुछ जात का लाओ तो कोई बात बने । आग मजहब से लगाओ तो कोई बात बने ।। देश
Read Moreढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए । है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए
Read Moreफिर कोई सिक्का उछाला जा रहा है । रोज मुझको आजमाया जा रहा है ।। मानिये सच बात मेरी आप
Read Moreवो किसी पाषाण युग के वास्ते अवसर लिए हैं । देखिये कुछ लोग अपने हाथ मे पत्थर लिए हैं ।।
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