मंजिले
रात परेशां है रात भर, उजाले का है इसे भी इंतेज़ार रात भर । बहुत थका हुआ है सूरज, एक
Read Moreमैं क्या हूँ, मैं आसमाँ हूँ। बरसूँगा तो पूजा जाऊंगा, नही तो कोसा जाऊँगा।। मैं क्या हूँ, मैं एक पौधा
Read Moreहाथ तिरंगा लेकर गणतंत्र दिवस पर, मैं गीत देशभक्ति के गाता हूँ। देश पर शहीद हुए जो,मुझे याद नही, लेकिन
Read Moreसाल दर साल यूँ ही बदलते चले गए, उम्र बढ़ती गई , सपने मरते चले गए। क्या कुछ बदला पिछले
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