शर्म की परिभाषा
वाह रे नई पीढी तूने तो शर्म की परिभाषा ही बदल दी सादगी, सादापन बन गया गवारपन धीरे-धीरे हो रहे
Read Moreवाह रे नई पीढी तूने तो शर्म की परिभाषा ही बदल दी सादगी, सादापन बन गया गवारपन धीरे-धीरे हो रहे
Read Moreआज निश्शब्द हूँ मैं मासूम बच्चियों की चीखती, चिल्लाती अपना हक माँगती गूँजों से कहीं गड्ढों में कहीं नालियों में,
Read Moreनहीं मिली है ज़िंदगी मरने के लिए, यह ज़िंदगी है कुछ करने के लिए गर आज नहीं तो सुख आएगा
Read Moreद्वेषाग्नि में जलता हुआ, हर वक्त चिंता, तनाव में रहता है, जो न मिला उसका गम है, जो मिला वो
Read Moreमन को मरोड़ तोड़, विषयों को पीछे छोड़, मन को बनाके दास, मन पर राज कर | मन सदा भरमावें,
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