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चौड़ी सड़क पर जगह-जगह नियोन लाइट के गुच्छे लटक रहे थे। उन्हीं में से एक गुच्छे के नीचे, वो बदनाम
Read Moreउनकी मोटरसाइकिल के पहिए सी ज़िन्दगी है मेरी, चलती ही जा रही है, चलती ही जा रही है हर
Read Moreप्रेम-पांति प्राणों के स्पंदन हे प्रिय! वंदन! करे न वहन बोझिल नयन यह निद्रा-शयन। इस प्रेम -अगन
Read Moreछोटा सा दीपक हूँ, कहते हैं घर का चिराग़ मुझसे ही जलती है, घर के उम्मीदों की आग नन्हीं
Read Moreबिना एक बूँद गिराए पन्नियों में पलटते दूध पर उसकी बराबर नज़र थी। कहीं मिट्ठू चूँके तो उसे अच्छे से
Read Moreमैं तो देखने गई थी तमाशा पर अब खुद ही तमाशा बनी हूँ। कभी था दिया, राह के रोड़े को
Read Moreऐ देश मेरे! तेरा रंग निराला है। मगर क्या तू कभी आगे बढ़ने वाला है? क्योंकि तेरे हर शुभ काम
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