लघुकथा – परम हितैषी
“सुधा! अगर रतन बाबू ने कोई बहाना बनाकर अजीत को खाली हाथ लौटा दिया तो …।” दीपक बाबू ने आशंका
Read More“सुधा! अगर रतन बाबू ने कोई बहाना बनाकर अजीत को खाली हाथ लौटा दिया तो …।” दीपक बाबू ने आशंका
Read Moreमहिमा देखने में सुंदर तो थी ही, उसका स्वभाव भी बहुत मधुर था, परंतु दो साल पहले पिताजी की मृत्यु
Read More1. पिता की छाया बरगद सी बड़ी रक्षा कवच। 2. परम पूज्य पिता स्वर्ग समान पालनहार। 3. पितृ वचन सदा
Read Moreतूने दी बंदूक उसे कि रक्षा होगी तेरी पर,अफसोस जनतंत्र में भी जानें जाती तेरी। करे वो अन्याय फिर भी
Read Moreआज से लगभग छह साल पहले पिताजी के स्थानांतरण के कारण हम लोग साहिबगंज जिला मुख्यालय आ गए। मेरा दाखिला
Read More1 कीमती धातु सोना जिसका नाम बढ़ता दाम 2 सोने का रंग ज्यों गोरी
Read Moreवात्सल्य से बड़ा प्रेम नहीं अपत्यस्नेह-सा दूजा कुछ नहीं मातृ रुधिर से बनती संतान कितना पवित्र स्तनपान। संतान के लिए
Read More“माँ, तुम मेरी चिंता क्यों करती हो?” “क्यों न करूँ,अभी तक न तुम्हारी नौकरी लगी है और न शादी हुई
Read Moreदिन महीने साल देखते -देखते बीत गए। नीलिमा ने ग्रैजुएशन की पढ़ाई भी पूरी कर ली। मध्यम वर्गीय परिवार में
Read More