कहानी-अतीत से अस्तित्व
शीला आज उम्र के पचासवें पढ़ाव पर आकर अपनी दादी माँ को बहुत याद करती है। जिसका मुख्य कारण यह
Read Moreशीला आज उम्र के पचासवें पढ़ाव पर आकर अपनी दादी माँ को बहुत याद करती है। जिसका मुख्य कारण यह
Read Moreमहीने के अंतिम रविवार को अक्सर मैं मोरान के शिवालिक वृद्धाश्रम में जाती हूँ और वहां रह रहे माता-पिता के
Read Moreये जीत नहीं कुछ लोगों की यह भारत की जीत है। कुकर्मों के कुठाराघात पर निष्काम कर्म की जीत है।
Read Moreकेवल लक्ष्य ध्यान में तीर निशाने पर होगा तेल में देख आँख मत्स्य की अर्जुन सम धनुर्धर होगा लक्ष्य ऊँचा
Read Moreयह दौड़ जिंदगी की शतरंज का खेल है स्याह और सफेद सुख-दुख का मेल है यह फौज दुश्मनों की मोहरों
Read Moreअंगुली में लपेटे धागों से नचा रहा मैं हर प्राणी को महलों में स्वप्न दिखाता कभी झोंपड़ी में तड़पता राजा
Read Moreमाँ तो सिर्फ माँ होती है हो चाहे पशु-पक्षी की पथ की ठोकर से बचाकर रक्षा करती बालक की हाथ
Read Moreरहकर गुफाओं में आग जला पत्थरों से शिकार कर पशुओं का करता मांस भक्षण ढक लेता तन-बदन को वृक्षों की
Read Moreये हाथों की कालिख तो पौरुष की निशानी है। पके है श्रम की आग से ये निर्माण की हर प्रक्रिया
Read Moreअद्भुत है जीवन की सीढ़ी पार करते ही एक दूसरी आ जाती है सभी की है अपनी मंजिल सभी का
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